group 1890



ग्रुप 1890

ग्रुप 1890 का गठन प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप एवं बंगाल शैली के प्रकृति एवं आदर्शवाद के विरोध में किया गया था। आधुनिक चित्रकला के विकास में इस ग्रुप ने निर्णायक भूमिका अदा की थी। 1962 सभी सदस्यों की बैठक महेंद्र पांड्या के घर पर हुई थी। इसी घर के नंबर के आधार पर इस ग्रुप का नाम करण करने का सुझाव जे स्वामीनाथन ने दिया जिसे सभी ने सहर्ष मंजूर कर लिया। इस ग्रुप के विषय में कॉन्ट्रा नामक पत्रिका में जे स्वामीनाथन ने प्रकाशित किया। ग्रुप का घोषणा पत्र Octavio paz (मैक्सिको के कवि)तथा जे स्वामीनाथन ने मिलकर तैयार किया।

ग्रुप 1890 की प्रदर्शनी

1890 ग्रुप की प्रदर्शनी 7 जुलाई 1963 ई को जवाहर भवन नई दिल्ली में आयोजित की गई जिसका उद्घाटन देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था। इसके विषय में जी एम शेख एक दिलचस्प टिप्पणी करते हैं 1963 में चीन युद्ध के बाद भारत की हार से पंडित जवाहरलाल नेहरू टूट गए थे जिससे उद्घाटन के कार्यक्रम में सम्मिलित होने के इच्छुक नहीं थे पर स्वामीनाथन ने उनसे कहा नेहरू जी हम आपको एक लेखक के रूप में आमंत्रित करना चाहते हैं जिसे नेहरू जी प्रसन्न हुए और उद्घाटन करने के लिए राजी हो गए। इस प्रदर्शनी के बाद यह ग्रुप विघटित हो गया।

Not 

DAG ने ग्रुप 1890 के कलाकारों की प्रदर्शनी न्यूयार्क मुंबई में 2017 तथा दिल्ली में 2016 में India's Indigenous modernism आयोजित की।

New York, the pullar building, 23rd march - 30 September 2017 Mumbai, Kala ghoda 19 December 2016- February 2017

New Delhi, hauj khas village,5 September - 3 December 2016


    

Grup 1890 घोषणापत्र के मुख्य अंश


कला ना तो वास्तविकता के अनुरूप है और ना ही उससे अलग है यह अनुभव की एक दुनिया है जो स्वतंत्रता के युग में प्रवेश करने के दहलीज पर खड़ी है                                      जगदीश स्वामीनाथन, 1963, 
ग्रुप 1890 के घोषणा पत्र से

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