संयोजन के सिद्धांत principles of composition
दो या दो से अधिक तत्वों मैं सामंजस्य स्थापित कर मधुर योजना का निर्माण करना ही संयोजन है जिसमें से एक तत्व की प्रधानता रहती है वैसे तो चित्रकला में रेखा रंग रूप तान पोत अंतराल आदि तत्व को संयोजित कर कलाकार सशक्त अभिव्यक्ति प्रदान करता है यह कलाकार के प्रयोग और अनुभव पर ही निर्भर करता है कि वह इन तत्वों का किस प्रकार प्रयोग करता है हो सकता है एक कलाकार में किसी तत्व की प्रधानता हो दूसरे कलाकार में किसी तत्व की प्रधानता हो कलाकार रेखा के प्रयोग से चित्रतल को कई भागों में विभक्त कर संयोजन का भावी स्वरूप देता है एक अध्ययनरत विद्यार्थी के लिए यह प्रयोग का विषय है वह जितना कला के तत्वों को चित्र फलक पर परस्पर रखकर अनुभव प्राप्त करेगा उसका संयोजन उतना ही सुखद और सरल होगा फिर भी यह विश्वास के साथ नहीं कहा जा सकता है कि उसका संयोजन दूसरों को सही ही लगेगा यह तो व्यक्तिगत अनुभव और सामर्थ्य की बात है
1 सहयोग unity
2 सामंजस्य harmony
3 संतुलन balance
4 प्रभाविता. emphasis or dominance
5 प्रवाह rhythm
6 प्रमाण proportion
सहयोग unity
सहयोग की परिभाषा definition of unity
सहयोग का उद्देश्य Purpose of unity
सहयोग और दर्शक unity and audience
सहयोग और सापेक्षता
चित्र में सहयोग निर्धारण
सहयोग एवं विरोधाभास
सामंजस्य Harmony
सामंजस्य चित्र तल पर एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण करता है जिसमें कला के सारे तत्व मिलकर मुख्य आकृति को व्यवस्थित करते हैं चित्र में भाव जो भी हो पर सहायक रूप मुख्य आकृति के रूप को निखारने में जब सहायता प्रदान करते हैं जो का सामंजस्य का उचित उदाहरण है सामंजस्य में विरोधाभास का भी अपना महत्त्व है विरोधाभास विषय को और अधिक रुचिकर बनता है तथा दर्शक को चित्र के रसास्वादन में विशेष आनंद भी मिलता है पर कलाकार को इतना अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि वह विरोधाभास के साथ ही चित्र में सामंजस्य होना बहुत आवश्यक है अन्यथा वह चित्र मात्र खंडों में व्यक्त विवरण रह जाएगासामंजस्य की परिभाषा
चित्रण के सभी तत्व यथा वरदान एवं रूपाली एक दूसरे के साथ मेल खाते हुए प्रतीत हो तथा चित्र में निरर्थक विकर्षण तत्व ना हो वह सामंजस्य का कहलाएगासहयोग एवं सामंजस्य में संबंध
कलाकार का मुख्य ध्येय विषय की अभिव्यक्ति है वह इसके लिए चित्र को विभिन्न प्रकार के अलंकरण से सजाता भी है और चित्र को विविध प्रकार से विभाजित भी करता है पर कलाकार को सदैव ध्यान रखना चाहिए वाह चाहे चित्र का जैसा भी उपचार करें पर सारे तत्व में सहयोग होना आवश्यक है सामंजस्य विचित्र का विशेष गुण है जो चित्र के सारे तत्वों को एक सूत्र में बांधकर सौंदर्य को बढ़ाता हैरेखा सामंजस्य
रेखाओं को तीन मुख्य श्रेणियों में गिना जाता है1 आवृत रेखाएं जो एक दूसरे का अनुकरण करती हैं वह आवृत रेखाएं कहलाती है
2 जो रेखा एक दूसरे का विरोध करती है
3 संधि रेखाएं जो एक दूसरे के प्रभाव को मृदु बनाती है
कलाकार विभिन्न प्रकार की रेखाओं का प्रयोग करके चित्र में सामंजस्य उत्पन्न कर सकता है इसके साथ साथ वह इनके द्वारा हवाओं की भी अभिव्यक्ति करता है
रूप सामंजस्य
रुप की अपनी शक्ति होती है जब कलाकार चित्रण तलपर रूप अंकन प्रारंभ करता है तो चित्र भूमि दो भागों में विगत हो जाती है इन दोनों प्रकार के रूपों के सामंजस्य से ही एक आदर्श चित्र की रचना होती
पोत सामंजस्य
पोत धरातल की बनावट का गुण है जिसका अनुभव आंखों से भी किया जा सकता है जो कठोर मुलायम तथा विविध प्रकार का भी हो सकता है इसका कलाकार उचित प्रयोग कर सामंजस्य का निर्माण करता है जो कलाकृति के सौंदर्य में चार चांद लगा देते हैंविचार सामंजस्य
कलाकार जिस विषय को लेकर चित्र बना रहा हो उसी से संबंधित अन्य सहायक सामग्री को जब चित्र में स्थान देता है तो वह विचार सामंजस्य प्रदर्शित करता हैवर्ण सामंजस्य
चित्र तल पर रंगों का संयोजन इस प्रकार से होना चाहिए कि वह सुखद एवं आकर्षक लगे कलाकार इसके लिए विभिन्न विधियों का सहारा लेता है इस प्रकार की रंग योजना को अपनाते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि चित्र में एक जैसी रंगते होते हुए भी एक रसता ना आने पाए जो चित्र को रस हीनता के प्रभाव से बचाती है और रंग योजना ही यह निर्धारित करती है कि चित्र देखने में कितना आकर्षक प्रतीत होता है यहां तक कुछ विद्वानों ने रंग को चित्र का प्राण भी कहा हैसंतुलन
यह चित्रकला के सिद्धांतों में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो चित्र में अंकित आकारों को इस प्रकार से संयोजित करने पर विशेष रूप से ध्यान देता है जिससे चित्र फलक पर सभी आकृतियों का भार समुचित रूप से बिखरा हुआ प्रतीत हो फिर भी इस बिखराव में एकता के दर्शन होते हैं जो चित्र के मूल भाव को अपने अंदर सीमित रखता हैसंतुलन की परिभाषा
संतुलन चित्रकला का वह सिद्धांत है जिसके अनुसार चित्रण के सभी तत्व इस प्रकार व्यवस्थित हो कि उनका भार समस्त चित्र तल पर समान रूप से विभाजित हो, भार को अनुचित रूप से केंद्रीयकृत होने तथा इस प्रकार के चित्र को असंतुलित होने से ही बचाना है इसका ध्येय हैप्रभाविता
प्रभाविता का का मुख्य कार्य चित्र में संयोजित सभी आकारों को इस प्रकार से संबंधित करना है जो एक दूसरे का विरोध करते हुए भी एक दूसरे को सहयोग देती हुई प्रतीत होप्रभाविता की परिभाषा
चित्र में प्रभाविता का तात्पर्य उस सिद्धांत से है जिसके द्वारा दृष्टि संयोजन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व पर सर्वप्रथम पड़ती है तथा उसके पश्चात महत्व के क्रमानुसार अन्य तत्वों पर तथा अन्य व्याख्या ऊपर जाती हैप्रभाविता के उद्देश्य
प्रभाविता के तीन मुख्य उद्देश्य हैं1 एक रसता समाप्त करना
2 विषय की अभिव्यक्ति के लिए आकृतियों को सहायता प्रदान करना
3 चित्र में अंकित सभी तक तत्वों में प्रभाविता
बोध कराते हुए सामंजस्य का भाव उत्पन्न करना है
प्रभाविता के तत्व
प्रभाविता के लिए दो तत्व मुख्य रुप से उत्तरदाई हैं1 विषय वस्तु की अनुरुपता
2 साधरणीकरण
कला संयोजन की बेहतरीन जानकारी मिली आपके इस ब्लॉग पोस्ट से।
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