के सी एस पणिकर

KCS PANNIKAN की कला यात्रा 
कला में प्रयोगवादी प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाले कलाकार के सी एस पणिकर  का जन्म कोयंबतूर में हुआ था इनका पूरा नाम कोवलेजी चिरामपुथुर शंकर पणिकर है। पिता की मृत्यु के बाद डाक विभाग में इन्होंने नौकरी कर ली परंतु कला के प्रति लगाव के कारण त्यागपत्र देकर मद्रास कॉलेज आफ स्कूल आर्ट में दाखिला लिया। वहां पर देश के प्रसिद्ध मूर्तिशिल्पकार देवी प्रसाद राय चौधरी का सानिध्य मिला उनकी देखरेख में इन्होंने अपनी कला शिक्षा पूरी की।
आरंभिक कार्य मालाबार तट पर जल रंग माध्यम में झील, नाव, नावघाट, बाजार, नारियल के पेड़ आदि के चित्र बनाते हुए व्यतीत हुआ। इस काल के प्रमुख चित्र हैं कैनाल डी ग्रेव।
केसीएस पणिकर ने परंपरागत शैली से प्रेरित होकर सौंदर्य के नए प्रतिमान स्थापित किया जो उनके चित्र न्यूड और स्लीपिंग न्यूड में दिखाई पड़ते हैं
1950 की कला शैलियों में यथार्थवादी प्रभाव भी चित्रों पर दिखाई पड़ता है। जो बच्चा, गार्डन श्रृंखला में देखा जा सकता है
1963 से लेकर 1975 तक का समय के सी एस पणिकर की कला यात्रा में स्वर्णिम काल रहा है। इस अवध में आदिवासी ज्यामितिय आकर, अबूझ लिपि, मलयालम अंक एवं स्वदेशी प्रतीक को लेकर एक नई कला वर्णमाला का विकास किया जो वैचारिक रूप से लोकतंत्र वादी विचारधारा को जन्म देती है इस काल में ज्योमैट्रिकल ऑर्डर इन एस्ट्रोलॉजी, ज्योमैट्रिकल ऑर्डर आदि कुछ प्रसिद्ध चित्र है।
चोल मंडल ग्राम या कलाकरों का गांव 
 दक्षिण भारत में कलाओं को बढ़ावा देने एवं कलाकारों में आत्मनिर्भरता विकसित करने के उद्देश से चोल आर्टिस्ट विलेज की स्थापना 1966 में की।

   

KCS pannikar के चित्र
शब्द और प्रतीक
    

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