gaganendranath Tagore

Gaganendranath Tagore


    भारतीय कला जगत में कभी-कभी ऐसी प्रतिभाएं भी जन्म लेती हैं जो अपने स्वभाविक सृजन को ही अपने जीवन का आधार बनाती हैं गगनेंद्रनाथ टैगोर भी इन्हीं में से एक प्रतिभावान कलाकार थे जिन्होंने तत्कालीन प्रचलित बंगाल शैली से इधर अपना एक स्वतंत्र मार्ग खोजा जो देखने में भले ही यूरोपीय शैली से प्रभावित हो पर यह उनका अपना स्वयं का चुना हुआ मार्ग था जिसे कलाकार ने अपने हाथों से गढ़ा था यह दुनिया इनकी अपनी थी जिनके सारे आकार और कल्पनाएं गगनेंद्रनाथ की स्वयं की थी वह देखने में घनवादी प्रतीत अवश्य होती हैं पर वह घन वादियों के न तो साहित्य को पढ़ा और ना ही उनके कभी चित्र देखें फिर भी कुछ समानताएं तो दिखाई पड़ती हैं लेकिन हम इतना कह सकते हैं इन समानताओं के बावजूद गगनेंद्रनाथ टैगोर अपने सृजन में भारतीयता को बरकरार रखने वालों रखने में सफल रहे हैं 

  • जन्म   1867 जोरोसांको
  • मृत्यु    1938
  • प्रसिद्धि  चित्रकार, कार्टूनिस्ट

गगनेंद्रनाथ टैगोर का जन्म 1867 ईस्वी में जोड़ासाँको पश्चिम बंगाल कोलकाता में हुआ था इनका पालन-पोषण चाचा रविंद्रनाथ टैगोर के संरक्षण में हुआ इन्हीं से ही इनके अंदर कलात्मक भाव का संचार हुआ यद्यपि के सृजन के पीछे कोई सुनिश्चित उद्देश्य नहीं था फिर भी लगातार परिश्रम के बल पर अपनी शैली को विकसित कर सके इन्हें आत्म शिक्षित कलाकार भी कहा जाता है

गगनेंद्रनाथ टैगोर चित्रों को पांच भागों में बांटा जा सकता है 

  • प्रथम भाग में परियों की कहानी तथा साहित्य ग्रंथ पर आधारित चित्र आते हैं इसके अंतर्गत इन्होंने  जीवनस्मृति चित्र श्रृंखला तथा अर्जुन चित्रांगदा, माया कन्नन, गॉड ऑफ मिस्ट्री आदि चित्र आते हैं
  • द्वितीय वर्ग में गगनेंद्रनाथ के कार्टून चित्र आते हैं जो 1916 से 1918 के मध्य स्याही से रेखांकन द्वारा बनाए गए हैं कवि टैगोर तथा जगदीश जगदीश चंद्र बसु के पोर्टेड भी इसी ग्रुप में सम्मिलित किए जाते हैं
  • तृतीय भाग में इनके दृश्य चित्र रखे गए हैं जिनमें वातावरण के प्रभाव को मुख्य रूप से दर्शाया गया है जैसे आधी रात में गुजरते जुलूस, वर्षा में घर को जाता शिक्षक, दुर्गा पूजा, तुषार धोला आदि 
  • चौथे वर्ग में इनके अमूर्त चित्र रखे रखे गए हैं जो तत्कालीन भारतीय चित्रकला में नवीन एवं मौलिक हैं जैसे तिलस्मी भवन, रात्रि में शहर, स्वप्नचित्र आदि इन चित्रों में वस्तुओं और भवनों के अंकन में अमूर्त प्रभाव दिखाई पड़ता है 
  • पांचवें और अंतिम भाग में घनवादी चित्र आते हैं स्टेला क्रेमरिश के इन चित्रों की तुलना पेरिस के कलाकर से की है इसी प्रकार के अट्टहास, क्यूबिस्ट टेंपल चित्र है

गगनेंद्रनाथ के प्रसिद्ध चित्र 

  • Cubist temple, 
  • city in the light, 
  • Dwarika Puri 
  • द स्पीड ऑफ द डॉन 
  • मीटिंग इन द स्टेयरकेस
  • बिंदनी राजकुमारी
  • आंखें ही आंखें 
  • नारियों का सम्मान 
  • बंदी प्रकाश 
  • निर्जन गीत 
  • हिमालय की शोभा 
  • सुबह का तारा 
  • परीलोक
  • कलिक अवतार

श्रृंखला

  • जीवन स्मृति
  • चैतन्य चित्र माला
  • गगनेंद्रनाथ टैगोर ने 1917 में कैरीकेचर्स की एक संख्या दो खंडों में प्रकाशित की जो लिथोग्राफी माध्यम में थी
  • विरूप वर्ज
  • अद्वैत लोक

महत्वपूर्ण तथ्य 

  • गगनेंद्रनाथ टैगोर ने बच्चों के लिए Bhondor Bahadur साहित्यिक पुस्तक का चित्रण किया 
  • 1907 में सर जान बुडराफ, e v हैवेल, अविंद्रनाथ ठाकुर तथा अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इंडियन सोसायटी आफ ओरिएंटल आर्ट का गठन किया

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