satish gujral 1925

     भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के भाई सतीश कुमार गुजराल का जन्म पश्चिमी पंजाब प्रांत में 1925 में हुआ था जो अब झेलम पाकिस्तान में पड़ता है 10 वर्ष की अवस्था में बीमारी वस उन्होंने सुनने की अपनी सामर्थ्य को दी थी किंतु कठिन परिश्रम और आत्मविश्वास से इन्होंने लाहौर मुंबई मैक्सिको से कला का अध्ययन कर स्वयं को कला जगत में एक प्रतिष्ठित कलाकार के रूप में स्थापित किया इन्हें  मनःस्थिति का कलाकार भी कहा जाता है सतीश गुजराल ने  चित्रण की अपेक्षा म्यूरल कोलाज में अपना समय अधिक दिया तथा न्यूरल के दृष्टि से इन्हें भारत के सर्वोच्च कलाकारों में गिने जाते हैं इन्होंने जलाई गई लकड़ी तथा विद्युत प्रकाश के प्रभाव से धातु की तख्तियों पर नवीन रूपों का सृजन किया तथा प्राचीन तांत्रिक प्रवृत्तियों पाप आर्ट से प्रेरित होकर शिरेमिक ब्रांज टाइल्स बाटिक तथा एलुमिनियम द्वारा कोलाज चित्रों तथा शिल्पों का सृजन किया गुजराल साहब अपने म्यूराल चित्रों में अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों का भी प्रयोग करते थे
   सतीश गुजराल एक बहु प्रतिभा संपन्न कलाकार थे जो चित्रकला मूर्तिकला वास्तुकला लेखक तथा ग्राफिक चित्रकार के रूप में जाने जाते हैं इनके द्वारा नई दिल्ली स्थित बेल्जियम राजदूत की बनाई गई इमारत विश्व की 20 वीं सदी की 1000 श्रेष्ठ इमारतों में गिनी जाती हैं जिसे इंटरनेशनल फॉर्म ऑफ आर्किटेक्चर ने अपनी सूची में शामिल किया है
   2012 में सतीश गुजराल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म ए ब्रश विद लाइफ बनाई गई जो 24 मिनट की थी कला जगत में काफी चर्चित हुई वैसे तो इनके जीवन पर एक दर्जन से अधिक फिल्में बन चुकी हैं एक वास्तुकार के रूप में इन्होंने बेल्जियम के राजदूत भवन नई दिल्ली का मानचित्र बनाया इसके अतिरिक्त आत्मकथा सहित चार पुस्तके लिखीं। चार्ल्स फाबरी ने सतीश गुजराल को जीनियस कलाकार भी कहा है
     सतीश गुजराल का कलात्मक पक्ष आमतौर पर विभाजन की त्रासदी एवं जीवन के संघर्षों को दृश्य रूप प्रदान करता है  धूसर काले सफेद तथा नीले रंगों से इन्होंने आतंक भय क्रोध पीड़ा आदि का मिलाजुला स्वरूप रखा है रेखाओं के घुमावदार प्रयोग ने शैली को और प्रभावशाली बना दिया है विषय वस्तु अक्सर अमूर्त ही रही रंग चमकीले और सुनियोजित योजना के साथ प्रयुक्त किए गए हैं अपने सृजन में पशु पक्षियों विभिन्न प्रतीकों  लिपि आदि का भरपूर प्रयोग किया है इसके साथ ही पुराण प्राचीन इतिहास भारतीय संस्कृति लोक कथा और विविध धर्मों के अनेक प्रसंग को आत्मसात करते हैं प्रतीत होते हैं चित्र की सतह को भाव अनुकूल बनाने के लिए रंगों के साथ बालू को मिक्स कर सतह को विषय के अनुकूल बनाया गया है जो इनकी विशिष्ट शैली को दर्शाती है सतीश गुजराल के चित्रों को बिना हस्ताक्षर के भी पहचाना जा सकता है
पुरस्कार
    पद्म विभूषण 1999, मेक्सिको का लियोनार्दो विंची पुरस्कार, बेल्जियम का ऑर्डर ऑफ क्राउन, भारत का राष्ट्रीय कलाकार पुरस्कार, ndtv द्वारा इंडियन ऑफ द ईयर सम्ममान 2014, भारतीय कला परिषद तथा इंडियन इंस्टीट्यूट आफ आर्किटेक्चर ने सम्मानित किया
म्यूराल
  मोदी हाउस मेरठ1978, गांधी संस्थाथान मारीशस, मोदी हाउस नई दिल्ली, बेल्जियम एंबेसी नई दिल्ली, वर्ल्डल्ड ट्रे न्यूयॉर्क, ओबरॉय होटल तथा पंजाब विश्वविद्यालय
 नोट सतीस गुजराल ने मेक्सिको विश्वविद्यालय में डेविड अलफेरों केेेेे साथ मिलकर म्यूराल बनाए
चित्र 
     कला चांद, असहाय, तूफान के तिनके, अंत का आरंभ, कहां है प्रकाश, मोहनजोदड़ो संस्कृति,  विलाप, मीरा बाई, डेज ऑफ ग्लोरी, mourning en masse ( vilaap karte hue ma),  femmes assises, raising of Lazarus

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