के सी एस पणिक्कर

सी एस  पणिक्कर का तांत्रिक कला संसार 

मैं अपनी कला यात्रा के दौरान भारत के महान आध्यात्मिक विचारों से प्रेरित रहा हूं उन्होंने अध्यात्मिक और अध्यात्म दुनिया की खोज की जबकि मैने उनकी अपने कैनवास पर व्याख्या की

के सी एस  पणिक्कर का जन्म कोयंबटूर तमिलनाडु में 1991 में  हुआ था इनकी शिक्षा मद्रास स्कूल आफ आर्ट से हुई जहां पर देवी राय प्रसाद चौधरी का इनको सानिध्य मिला यही पर शिक्षक भी नियुक्त हुए 1957 में यहां के प्रचार बने 1960 में इन्होंने मुंबई के प्रसिद्ध कलाकार ग्रुप से प्रेरित होकर मद्रास प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप की स्थापना की 1966 ईस्वी में चेन्नई के हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के उद्देश्य चोल मंडल ग्राम की स्थापना की

प्रारंभिक समय में इन्होंने यूरोपी पद्धति पर दृश्य चित्रण भी किया किंतु धीरे-धीरे इन्होंने कला की आधुनिक विधाओं को अपनाया इन्हे दक्षिण भारत में आधुनिक चित्रकला का जन्मदाता भी माना जाता है इन के चित्रों में तांत्रिक कला के समान ज्यामिति रूपा करो का अंकन मिलता है जिसे 9 तांत्रिक बाद कहा गया

के सी एस पनिकर द्वारा रहस्यमई चित्र भाषा का विकास

के सी एस पनिकर की कलात्मक शैली का विकास करना था जो गुढ़ आध्यात्मिक अर्थों को प्रस्तुत कर सके तथा अपनी परंपरा से भी जुड़ी हुई हो इसके लिए उन्होंने प्राचीन पांडुलिपियों की तरफ भी अपना रुख किया पनिकर की निगाह में भाषा एक वर्णमाला का खेल है जिसमें बहुत से अक्षर होते हैं उन्हीं के योग से शब्दों का निर्माण होता है मैं सिर्फ अक्षरों को पढ़ सकता हूं शब्दों को नहीं शब्द तो आपस में एक दूसरे से विरोध करते हुए प्रतीत होते हैं जो मैं देखता हूं उसी को अभिव्यक्त करने के लिए विवश रहता हूं बल्कि यह कहना अनुचित नहीं होगा मैं शब्दों के परे भी उस रहस्य को देख रहा हूं जो शायद हमें शब्द नहीं बताते


के सी एस पनिकर ने अपने चित्रों में इस प्रकार से लिपियों का प्रयोग किया है जैसे कोई शिलालेख हो इसके लिए उन्होंने चीनी अरबी तांत्रिक और कलमकारी जैसी लिपियों का अध्ययन भी किया लिपियों का सहयोग लिया शब्दों तथा लिपि का कुशल प्रयोग इनकी कला व्यक्त में चार चांद लगा देते हैं इसके अलावा उन्होंने तांत्रिक प्रतीकों का अपनी शैली में मधुर संयोजन किया है

के सी एस पनिकर के रंग और आकार

पनिकर साहब ने रेखा की लयात्मक का प्रतीक और विचार की सहजता पर बल दिया उसके बाद चित्रों में रंग संगती ओ प्रतीकों तथा रेखाओं का समन्वय सहा सौंदर्य को निकालने लगा प्रभाववादी कलाकारों के समान ही चमकीले रंगों का प्रयोग किया है कहीं-कहीं लाइनों के नीचे सुलेख तथा प्रतीकों का उपयोग कर आध्यात्मिक अमूर्ता दिखाने का प्रयास किया गया है

चोलमंडल ग्राम

के सी एस पनिकर ने ने कलाओं को बढ़ावा देने के लिए चोला मंडल सागर पर महाबलीपुरम के पास एक गांव की स्थापना की जिसे कलाकार ग्राम या चोल मंडल कला ग्राम के नाम से जाना गया यह कला ग्राम बिना किसी सहायता के कलाकारों के अथक प्रयास के द्वारा अपनी पहचान कला जगत में बना सका चोल मंडल ग्राम की स्थापना के पीछे पाणिकर साहब का उद्देश्य परंपरागत कलाओं को बढ़ावा देना था अधिकतर इसमें छात्र और विभिन्न संस्थाओं के अध्यापक शामिल थे  यहां पर कलाकार अपनी इच्छा के अनुसार स्वतंत्र होकर कार्य कर सकते थे साथ ही मिलकर इस ग्राम को चलाते भी थे

लगातार करते हुए पनिकर साहब का जन्म की मृत्यु 1977 हुई में के सी एस पनिकर पूरा नाम कोवलेझी चीरमपुठूर शंकर पनिकर Kovalezhi Cheerramputhoor Shankra paniker था 

के सी एस पन्नीकर के चित्र

ईशा धन्य है शांतिदूत 
 आदम और हव्वा 
बसंत तैलंग 1960 
काली लड़की 
पतिता तथा इव 
पीले पहाड़ पीले पहाड़ 
 गर्भवती स्त्री 
शब्दों और प्रतीक 1966
गार्डन श्रृंखला तेल
द लाइफ ऑफ बुद्धा 1956
The Haunted House 1942

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