करवा चौथ और लोक कलाओं का अद्भुत संसार
करवा चौथ की पूजा में प्रयोग होने वाली सींके |
करवा चौथ पर बनाए जाने वाले चित्र
करवा चौथ के अवसर बनाए जाने वाली आकृतियों में सूर्य चंद्र गौरी शिव गणेश आदि का प्रमुखता के साथ अंकन किया जाता है इस अवसर पर प्रचलित लोक कथाओं को भी चित्रों के रूप में अंकित किया जाता है इन कथाओं के माध्यम से इस त्यौहार के महत्व और लाभ को भी दर्शाया जाता है भाई को अपनी बहन के यहां करवा ले जाते हुए, महिलाएं अपने पति का चलनी में रुप देखती हुई, चंद्र देव की पूजा अर्चना कर अर्घ अर्पित करती हुई, साथ ही विविध प्रकार के जीव जंतुओं पक्षियों एवं वनस्पतियों को भी चित्र में उचित और पर्याप्त स्थान दिया जाता है जो मानव और प्रकृति के अंतर्संबंध का भी परिचायक है
इन चित्रों के महज सीधे सरल नजर आने वाले रूपाकारों का अपना विशेष महत्व है जो पुरातन से चली आ रही इस परंपरा को हमारे सम्मुख आज भी रखते हैं तथा मनुष्य और प्रकृति के संबंध को भी उजागर करते हैं इस त्योहार पर प्रयुक्त होने वाली सामग्री अक्सर हम अपने आसपास से ही एकत्र करते हैं परंतु इस आधुनिकतावादी युग ने घरों पर निर्मित होने वाले चित्रों की संख्या में कमी अवश्य कर दी है आज अधिकांश पक्के होते हैं जिन पर बार-बार चित्र बनाना उचित नहीं माना जाता है परंतु फिर भी इन लोकचित्रों का जनमानस में इतना अधिक विश्वास व्याप्त है कि प्रतीक के रूप में बाजार में उपलब्ध चित्रों को ही दीवारों पर लगाकर पूजा अर्चना की जाती है बहुत से घरों में छत पर भी चित्र निर्मित किए जाते हैं
विकास के साथ-साथ आज घरों में इस अवसर पर विविध प्रकार की रंगोलियां बाजार में उपलब्ध रंगों के द्वारा बनाई जाती है तरह तरह की रंगीन लाइटों का भी अब प्रयोग होने लगा है फिर रिवाजों के अनुसार चावल को पीसकर कुछ चित्र अंकित आकृतियां आज भी अंकित की जाती है
करवा चौथ पर बनाए जाने वाले चित्र में प्रयुक्त सामग्री
गेरू कोयला वानस्पतिक रंग सिंदूर आदि का प्रमुखता के साथ उपयोग किया जाता था परंतु वर्तमान समय में बाजार से उपलब्ध रंग भी प्रयोग में लाए जाते हैं सफेद कलर के लिए चावल पीसकर प्रयोग में लाया जाता था
निर्माण विधि
करवा चौथ पूजा का चित्र |
दीवाल को पिसे हुए चावल या चूने लेप से अच्छी तरह लिपकर तत्पश्चात कोयले की सहायता से आकृतियां बनाई जाती हैं साथ ही बॉर्डर भी बनाया जाता है तत्पश्चात रूई और सींक की सहायता से रंग भरे जाते हैं कहीं-कहीं पर बाजार में उपलब्ध ब्रस व रंगों का भी प्रयोग किया जाता है
चित्र बनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए सींक पर लगी हुई रूई में उतना ही रंग भरे जितना कि वह वहन कर सके ऐसा न करने पर रंग पूरी दीवाल पर रंग गिरने की संभावना बनी रहती है जिससे सतह खराब हो सकती है और चित्र की सुंदरता में कमी आ सकती है
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