पोत का अर्थ Meaning of texture
               पोत का अर्थ धरातल की बनावट से होता है इस संसार में बहुत सी वस्तुएं पाई जाती है जिनकी सतह का निर्माण भिन्न भिन्न प्रकार का होता है तथा देखने में भी पृथक प्रकार का सुखद अनुभव होता है प्रकृति के साथ-साथ मानव निर्मित विभिन्न प्रकार की वस्तुओं में भी बहुत अलग अलग निर्मित होता है जैसे पत्थर लकड़ी फूल फल आदि
पोत की परिभाषा definition of texture
           किसी वस्तु की सतह या धरातल के गुण को ही पोत कहते हैं दूसरे शब्दों में सतह के गुण को ही पोत कहते हैं पाल क्ली पोत पर अपने विचार रखते हुए कहा हर पदार्थ के अपने गुण होते हैं अब जैसे पत्थर है वह कठोर है सो वह नर्म मांस जैसा नहीं दिखाया जाना चाहिए हर विचार के लिए उसके अनुकूल एक पदार्थजन्य आकार होता है
कलाकार जिस धरातल का प्रयोग करता है उस धरातल का भी अपना एक स्वभाव होता है वह अपनी रुचि के अनुसार तथा विषय के अनुसार चयन करता है जैसे हल्का खुरदुरा खुरदुरा दानेदार अन्य कई प्रकार के धरातल कलाकार प्रयोग में लाता है कलाकार चित्र में केवल वस्तुओं का आभास मात्र प्रस्तुत करता है भले ही वह चित्र में वस्तु के संपूर्ण गुणों को अंकित नहीं कर पाता है परंतु वह वस्तुओं के धरातल का समुचित अनुकरण कर अपनी अभिव्यक्ति और अधिक सार्थक बनाता है एक सफल कलाकार के लिए पोत का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है फिर भी या ज्ञान धीरे-धीरे लगातार परिश्रम के परिणाम स्वरूप आता है जो कलाकार की अभिव्यक्ति को और अधिक अर्थवान तथा मनोवैज्ञानिक दृष्टि परिपक्व बनाता है 
पोत का वर्गीकरण classification of texture
          प्रकृति विविध रूपों का भंडार है जिनका स्वरूप अलग-अलग है तथा उनमें विविध प्रकार के पोत का संग्रह है जिनका वर्गीकरण करना असंभव सा प्रतीत होता है फिर भी विद्वान ने इनके स्वभाव के आधार पर पोत को तीन भागों में विभाजित किया है
1 प्राप्त पोत found texture
   इसके अंतर्गत वे सभी धरातल आते हैं जिनका निर्माण प्रकृति या मानव द्वारा हुआ है कलाकार स्थिर वस्तु चित्रण के अंतर्गत इन पोतों का अध्ययन करता है इन्हें स्पर्श कर, देख कर भी अनुभव किया जा सकता है इनके अंतर्गत फूल फल विभिन्न प्रकार की वस्तुएं आती हैं इन्हें काटकर सुखाकर प्राप्त होने वाले अलग-अलग पोतों का अध्ययन करना चाहिए
2 अनुकृत पोत copied picture
  जब कलाकार किसी वस्तु को देखकर उसकी सतह का चित्र में अनुकरण करता है तो वह अनुकृत पोत कहलाता है भारतीय लघु चित्रों का अध्ययन करें तो स्पष्ट होगा कि इस प्रकार के पोत का प्रयोग अलंकरण करने के लिए प्रयुक्त किए गए है
3 सृजित पोत created texture
     इस पोत का निर्माण कलाकार विभिन्न प्रकार की सामग्री के प्रयोग के द्वारा करता है प्राप्त और अनुकृत पोत दोनों से ही अलग है कलाकार सतह पर नवीन प्रभाव उत्पन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयोगों द्वारा मन वांछित प्रभाव उत्पन्न करता है यही प्रभाव नवीन प्रकार के पोत का सृजन करता है केके हैं वह स्वामीनाथन तथा परमानंद चोल जैसे कलाकार की आकृतियों में इस प्रकार का पोत स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है
पोत तथा अंतराल space and texture
     पोत के द्वारा अंतराल को अधिक रुचिकर बनाया जा सकता है तथा समान रूप और परिणाम वाली वस्तुओं के पोत में अंतर करके भी कलाकृति को रस हीनता से बचाया जा सकता है यही कारण है कि वर्तमान में पोत की उपयोगिता लगातार कलाकार के लिए महत्वपूर्ण होती जा रही है कलाकार इसके प्रयोग से नित नए आयाम प्रस्तुत करता आ रहा है
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