कोणार्क मंदिर (सूर्य मंदिर)
मंदिर का इतिहास
यह मंदिर उड़ीसा की पुरी जिले में स्थित है। यह कोणार्क नामक शहर में स्थित होने के कारण इसे कोणार्क का सूर्य मंदिर भी कहा जाता है।
इस मंदिर का निर्माण गंग वंश के शासन नरसिंह देव प्रथम ने 1250 में कराया था।
इस मंदिर का निर्माण गंग राजवंश ने अपनी विजय के उपलक्ष में कराया था ।
यह मंदिर चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित है।
कोणार्क के सूर्य मंदिर की स्थापत्य कला
इस मंदिर का निर्माण रथ की रचना के आधार पर किया गया है
कोणार्क के सूर्य मंदिर के चार मुख्य भाग हैं, गर्भग्रह, जगमोहन, नृत्य मंडप, भोग मंडप।
रथ में दोनों तरफ 12-12 पहिए लगे हैं, जिनका व्यास 9 फीट 8 इंच है, प्रत्येक पहिए में आठ तिलिया है। रथ को खींचने के लिए सात अश्व बनाए गए हैं।
मंदिर का गर्भ ग्रह लगभग में 68 मीटर ऊंचा था।
मूर्तियां
मंदिर के गर्भग्राम में सूर्य की क्लोराइड पत्थर की मूर्ति है, जिसे ब्लैक पैगोडा भी कहा जाता है।
मंदिर में स्त्री पुरुष के प्रेम मिलन विषयक मूर्तियां भी अंकित की गई है।
वाद्य यंत्र बजती नायिका मूर्ति विशेष प्रसिद्ध है। क्लोराइड पत्थर से ही नौ ग्रह की मूर्तियां बनाई गई हैं।
यूनेस्को ने 1984 में विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया।
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