Vaidik kal ki Kala

वैदिक युग की कला

    वेद भारतीय संस्कृत की प्राचीन धरोहर है जो भारत को ज्ञान और विज्ञान का दृष्टिकोण प्रदान करते हैं आज भी विश्व के बहुत से देशों में वेदों पर आए दिन नए नए शोध होते रहते हैं वैदिक संस्कृत के निर्माता आर्य थे जो ग्रामीण जीवन व्यतीत करते थे पशुओं को चलाना खेती करना आर्य जन का प्रमुख व्यवसाय था ये लोग घोड़े का प्रयोग करने में अत्यधिक निपुण थे
    वैदिक काल में देवी देवताओं की पूजा होती थी परंतु प्रतिमा बनती थी या नहीं इस विषय में स्पष्ट रूप से कोई साक्षी प्राप्त नहीं होता है बिहार के लोरिया नंदन नामक स्थान से एक सोने की पत्री पर स्त्री आकृति बनाई गई है जिसका आकार 2x1 है आकृति में स्त्रीत्व के चिन्ह को बड़ा करके दर्शाया गया है जो संभवत उर्वरा के प्रतीक के रूप में कल्पित की गई होगी विद्वान इसे पृथ्वी माता या श्री लक्ष्मी की आकृति मानते हैं

1 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने